शोध में बताया कि ये 3 योग कोरोना को हराने में हुए हैं सफल, जानें उन क्रियाओं के बारे में

शोध में बताया कि ये 3 योग कोरोना को हराने में हुए हैं सफल, जानें उन क्रियाओं के बारे में

सेहतराग टीम

शरीर को फिट रखने के लिए हमें रोजाना योग करना चाहिए। इसलिए एक्सपर्ट हमें सलाह देते हैं कि रोगों से दूर रहना है तो रोजाना दिनचर्या में योग को रखना जरूरी है। वहीं इस समय कोरोना जैसी महामारी से बचने के लिए भी हमें योग करना अतिआवश्यक है। सभी प्रकार के योग हमारी सेहत के लिए जरूरी हैं, लेकिन अगर सांस की समस्या से निजात पाना है तो हमें कपालभाति, अनुलोम विलोम और भ्रस्त्रिका करना जरूरी है। इन प्राणायाम और योगिक क्रियाओं से न केवल कोरोना संक्रमण खत्म हुआ बल्कि रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ने के साथ-साथ शरीर में बीमारी के खिलाफ एंटीबाडीज भी बढ़ीं। देश के योग शिक्षकों के समूह अखिल भारतीय योग शिक्षक महासंघ ने पूरे देश के अलग-अलग राज्यों में दस लाख मरीजों पर इसका शोध किया और पाया कि कोरोना को हराने में ये तीन यौगिक क्रियाएं बहुत महत्वपूर्ण हैं। दस लाख मरीजों पर हुए शोध के जांच-परिणामों को आयुष मंत्रालय को सौंपा गया है।

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योग के माध्यम से कोरोना पर लगाम लगाने के लिए अखिल भारतीय योग शिक्षक महासंघ ने पिछले साल मई से ही इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिए थे। महासंघ के प्रमुख योग गुरु मंगेश त्रिवेदी कहते हैं, बीते दस महीने में देश के सभी प्रांतों में दस लाख कोरोना के मरीजों पर योगिक क्रियाओं के माध्यम से अध्ययन किया गया। त्रिवेदी कहते हैं कि जिन मरीजों पर अध्ययन किया गया वह सभी होम आइसोलेशन में थे। वह लोग सिर्फ आयुर्वेदिक नुस्खों वाली दवाई के साथ-साथ तीन प्राणायाम करते थे। जिसमें अनुलोम विलोम, कपालभाति, और भ्रस्त्रिका प्रमुख रूप से शामिल हैं।

योग शिक्षक महासंघ का दावा है कि पूरे देश में इतने बड़े स्तर पर योगिक क्रियाओं से कोरोना वायरस को हराने का यह पहला अध्ययन है। संघ के अध्यक्ष मंगेश त्रिवेदी कहते हैं कि जिन राज्यों में उनके महासंघ के माध्यम से यह रिसर्च की गई, उसमें मरीजों की एंटीबॉडी टेस्ट भी कराए गये। वह कहते हैं कि जिन मरीजों में योगिक क्रियाओं के बाद एंटीबॉडी टेस्ट कराए गए उनमें एंटीबॉडीज बढ़ी हुई मिलीं। यानी कि यौगिक क्रियाओं को करने के बाद शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ने की क्षमता बढ़ गई। देश के प्रमुख संगठन का दावा है कि इन मरीजों को किसी भी प्रकार की कोई एलोपैथिक दवाई भी नहीं दी गईं।

देश में इतने बड़े स्तर पर पहली बार कराए गए यौगिक क्रियाओं के अध्ययन की शोध रिपोर्ट को आयुष मंत्रालय को सौंपा गया है। अखिल भारतीय योग शिक्षक महासंघ ने बताया कि इस शोध को कराने का मकसद न सिर्फ योग को बढ़ाना बल्कि यौगिक क्रियाओं को देश और दुनिया में घर-घर तक पहुंचाना है। संगठन ने अपने स्तर पर इस अध्ययन को करने के बाद आयुष मंत्रालय से यह मांग भी की है कि एक योग परिषद की स्थापना की जाए, ताकि ऐसी और भी बीमारियों पर रिसर्च की जा सके। क्योंकि पूरी दुनिया में 'एविडेंस बेस्ड रिसर्च' के आधार पर ही हमारी इस चिकित्सा पद्धति को मान्यता मिल सकेगी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन और आयुष मंत्रालय में भारतीय पुरातन चिकित्सा पद्धति को लेकर एक करार भी किया है। आयुष विभाग के सचिव राजेश कटोच ने इस करार के दौरान बताया कि आयुर्वेद योगा, सिद्धा, यूनानी और होम्योपैथी को विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर पूरी दुनिया में आगे बढ़ाया जाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रीजनल डायरेक्टर डॉ पूनम खेत्रपाल ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान जिस तरह भारत ने अपनी पुरातन चिकित्सा पद्धति के माध्यम से बेहतर परिणाम दिए हैं, वह न सिर्फ देश बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक नजीर है। इन परिणामों पर एक अध्ययन भी किया जाएगा।

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